मार्केट रैली में चमके NPS फंड्स, दिया शानदार रिटर्न

 नई दिल्ली:- शेयर मार्केट में तेजी की लहर ने करोड़ों भारतीयों की रिटायरमेंट सेविंग्स में इजाफा कर दिया है। एनपीएस के सभी फंड्स ने पिछले कुछ वर्षों में डबल डिजिट में रिटर्न दिया है। निवेश में ज्यादा जोखिम ले सकने वाले जिन निवेशकों ने इक्विटी फंड्स में अधिकतम 50% रकम लगाई थी, उन्हें पिछले सालभर में 15% से ज्यादा रिटर्न मिला है। ऐसे निवेशकों को पिछले तीन से पांच वर्षों में 12% से ज्यादा का सालाना रिटर्न हासिल हुआ है। यहां तक कि केंद्र और राज्य सरकारों के कर्मचारियों के लिए एनपीएस फंड्स ने भी 11% से ज्यादा का ऐवरेज रिटर्न दिया है, जबकि इन फंड्स को इक्विटी में केवल 15% ऐलोकेशन की इजाजत है और ये शायद ही कभी 10% से ज्यादा ऐलोकेशन करते हैं।

msid-58469554,width-400,resizemode-4,npsअलग-अलग एनपीएस स्कीमों के रिटर्न से निवेशकों के लिए असल रिटर्न की पिक्चर नहीं दिखती है क्योंकि पोर्टफोलियो आमतौर पर दो से तीन अलग-अलग कैटिगरीज के फंड्स का मिश्रण होता है। लिहाजा इकनॉमिक टाइम्स ने इक्विटी, कॉर्पोरेट डेट और गिल्ट फंड्स के लिए चार अलग-अलग कॉम्बिनेशंस के रिटर्न का अध्ययन किया। बेहद सुरक्षित दांव चलने वाले निवेशकों के बारे में माना गया कि उन्होंने गिल्ट फंड्स में 60%, कॉर्पोरेट बॉन्ड फंड्स में 40% लगाया होगा और इक्विटी फंड्स में एक भी रुपया नहीं लगाया होगा।

कंजर्वेटिव इनवेस्टरों ने शेयरों में 20%, कॉर्पोरेट बॉन्ड फंड्स में 30% और गिल्ट्स में 50% ऐलोकेशन किया होगा। बैलेंस्ड ऐलोकेशन की बात करें तो इसके तहत फंड्स की तीनो कैटिगरी में 33.3% ऐलोकेशन किया गया होगा, वहीं ज्यादा जोखिम ले सकने वाले निवेशक ने इक्विटी फंड में अधिकतम 50%, कॉरपोरेट बॉन्ड फंड्स में 30% और गिल्ट्स में 20% रकम लगाई होगी।

बेहद सुरक्षित चाल चलने वाले निवेशक इक्विटीज से दूर रहते हैं और ऐसे लोगों को शॉर्ट टर्म में कुछ खास फायदा नहीं हुआ है। वे स्टॉक्स में आई रैली का लाभ नहीं ले सके और ब्याज दरों के बारे में आरबीआई का रुख बदलने पर फरवरी में जब बॉन्ड यील्ड्स में उछाल आया तो उन्हें बड़ा झटका भी लगा। इसके बावजूद इन निवेशकों के लिए लंबी अवधि में हासिल रिटर्न प्रविडेंट फंड या छोटी बचत योजनाओं से पिछले तीन से पांच वर्षो में मिले रिटर्न से ज्यादा ही है।




इक्विटीज में अपने कॉरपस का ठीक-ठाक हिस्सा लगाने वाले कंजर्वेटिव इन्वेस्टर्स का हाल रिटर्न के मामले में कुछ बेहतर रहा। इन फंड्स ने 100% डेट बेस्ड प्रविडेंट फंड को पिछले पांच वर्षों में लगभग 200-225 बेसिस पॉइंट्स से पीछे छोड़ा। इसे देखते हुए हैरत नहीं होनी चाहिए कि अल्ट्रा सेफ और कंजर्वेटिव ऐलोकेशंज के मामले में एलआईसी पेंशन फंड सबसे अच्छे प्रदर्शन वाला पेंशन फंड रहा। एक फाइनैंशल प्लानर ने कहा, ‘टीम एलआईसी के पास बॉन्ड मार्केट का गहरा अनुभव है। बॉन्ड फंड्स को मैनेज करने के मामले में वह संभवत: सबसे अच्छी टीम है।’




अपने कॉरपस को सभी तीन फंड कैटिगरी में बराबर-बराबर बांटने वाले बैंलेंस्ड इन्वेस्टर्स ने ज्यादा रिटर्न हासिल किया। डेट फंड्स शॉर्ट टर्म में फिसल गए, लेकिन इक्विटी फंड्स के शानदार प्रदर्शन ने ओवरऑल रिटर्न को चढ़ा दिया। कोटक पेंशन फंड ने लॉन्ग टर्म में सबसे शानदार प्रदर्शन किया। इसने पिछले तीन वर्षों में 10.39% का एसआईपी रिटर्न और पांच वर्षों में 11.22% का रिटर्न दिया।

इक्विटी फंड्स में अधिकतम 50% ऐलोकेशन करने वाले अग्रेसिव इन्वेस्टर्स ने सबसे ज्यादा रिटर्न हासिल किया। सबसे अच्छे प्रदर्शन वाले यूटीआई रिटायरमेंट सॉल्यूशंज ने पिछले पांच वर्षों में 11.78% का एसआईपी रिटर्न दिया। एनपीएस में इक्विटी निवेश की सीमा 50% रखी गई है, लेकिन युवा निवेशक अगर अग्रेसिव लाइफसाइकल फंड (एलसी-75) को चुनें तो वे इक्विटीज में 75% तक ऐलोकेशन कर सकते हैं। यह विकल्प चुनने वालों के लिए पिछले छह महीनों में 10.8% रिटर्न जेनरेट हुआ, जबकि शेयरों में अधिकतम 50% रकम लगाने वालों को इसी दौरान 4.9% रिटर्न हासिल हुआ।




एनपीएस से यह ज्यादा रिटर्न ऐसे वक्त जेनरेट हो रहा है, जब सरकार प्रविडेंट फंड सब्सक्राइबर्स को पेंशन स्कीम में शिफ्ट होने की इजाजत देने की योजना के साथ तैयार है। हालांकि, इस कदम की राह में कानूनी और टैक्स से जुड़ी चुनौतियां भी हैं। आउटलुक एशिया कैपिटल के सीईओ मनोज नागपाल ने कहा, ‘इसकी इजाजत देने के लिए ईपीएफ ऐक्ट में बदलाव करना पड़ेगा।’ फिर एनपीएस कॉरपस का केवल 40% हिस्सा टैक्स फ्री है, जबकि समूचा ईपीएफ कॉरपस टैक्स फ्री होता है।




कुछ अन्य समस्याएं भी हैं। एनपीएस कॉरपस के कम से कम 40% हिस्से को एन्युइटी में लगाना होता है ताकि मंथली पेंशन हासिल की जा सके। इंडिया में एन्युइटी रेट्स दूसरे विकल्पों के मुकाबले काफी कम हैं। पेंशन फंड रेग्युलेटरी ऐंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी यानी पीएफआरडीए चाहती है कि निवेशकों को बेहतर रिटर्न पाने के लिए अपने कॉरपस को दूसरे इंस्ट्रूमेंट्स में लगाने की इजाजत दी जानी चाहिए।

पीएफआरडीए के चेयरमैन हेमंत कॉन्ट्रैक्टर ने ईटी से कहा, ‘सिस्टेमैटिक विदड्रॉल प्लान का विकल्प अच्छा है। कॉरपस को एन्युइटी के बजाय इसमें लगाया जा सकता है। निवेशक के पास यह विकल्प होना चाहिए कि वह रिटायरमेंट के बाद निवेश बनाए रखे और जरूरत के मुताबिक कॉरपस से व्यवस्थित तरीके से पैसा निकालता रहे।’

Source:- NBT