पांच सालों में रेल कारखानों का उत्पादन तीन गुना बढ़ाने की तैयारी

नई दिल्ली (जेएनएन)। रेल कारखानों के उत्पादन को अगले पांच वर्षो में तीन गुना करने के लिए इनके कुछ कार्यो का आउटसोर्स करने के अलावा इनके कर्मचारियों की संख्या घटाई जा सकती है। इस संबंध में संभावनाओं का पता लगाने के लिए रेलवे बोर्ड ने सभी उत्पादन इकाइयों के महाप्रबंधकों को पत्र लिख 31 जनवरी तक जवाब मांगा है।








रेलवे बोर्ड ने लिखा पत्र

रेलवे बोर्ड के अतिरिक्त सदस्य (उत्पादन इकाइयां) बीके अग्रवाल की ओर से 3 जनवरी, 2018 को लिखे गए इस पत्र में महाप्रबंधकों से कहा गया है कि ‘रेलवे की लागत घटाने के लिए अतिरिक्त सदस्य-बी की अध्यक्षता में गठित समिति ने पूर्ण रेलवे बोर्ड के समक्ष प्रजेंटेशन दिया था। इसके आधार पर बोर्ड ने सभी उत्पादन इकाइयों में कर्मचारियों की संख्या को दस फीसद घटाने तथा कुछ कार्यो को आउटसोर्स करने पर गंभीरतापूर्वक विचार करने का निर्णय लिया है। आपसे अनुरोध है कि अपनी उत्पादन इकाई में कर्मचारियों की संख्या को दस फीसद घटाने की संभावना तलाशें। इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि इस प्रक्रिया से आपकी उत्पादन इकाई को सौंपे गए लक्ष्यों पर कोई प्रभाव न पड़े। इस संबंध में संगठित कर्मचारी यूनियन/कर्मचारी परिषद से मश्विरा कर एक कार्ययोजना तैयार करें और 31 जनवरी, 2018 तक बोर्ड को भेजें।’




यह पत्र रेलवे की आठों उत्पादन इकाइयों के महाप्रबंधकों को भेजा गया है। इनमें इंटीग्रल कोच फैक्ट्री-चेन्नई, रेल कोच फैक्ट्री-कपूरथला, मॉडर्न कोच फैक्ट्री-रायबरेली, डीजल लोकोमोटिव व‌र्क्स-वाराणसी, चितरंजन लोकोमोटिव व‌र्क्स-चितरंजन, रेल ह्वील फैक्ट्री-बंगलूर, रेल ह्वील प्लांट-बेला तथा डीजल लोको मॉडर्नाइजेशन व‌र्क्स-पटियाला शामिल हैं।

पिछले तीन महीनों के दौरान रेलवे में जमीनी स्तर पर बदलाव की कोशिश

गौरतलब है कि इन दिनो रेलवे में ट्रांसफार्मेशन पखवाड़ा चल रहा है। 15 जनवरी तक चलने वाले इस कायाकल्प अभियान के तहत रेलवे के खर्चो को घटाने के और कार्यकुशलता व आय में बढ़ोतरी के लिए पिछले कुछ समय में लागू किए गए उपायों की समीक्षा की जा रही है। गौरतलब है कि पिछले तीन महीनों के दौरान रेलवे में जमीनी स्तर पर बदलाव की कोशिश हुई है। इसके तहत जहां कार्यो में रोड़ा पैदा करने वाली पुरानी अव्यावहारिक प्रक्रियाओं को समाप्त किया गया है।




वहीं नई सरल, त्वरित एवं व्यावहारिक प्रक्रियाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। न केवल अफसरों के प्रशासनिक व वित्तीय अधिकार बढ़ाए गए हैं, बल्कि कर्मचारियों के वेतन-भत्ते, साज-सामान और सुविधाओं में भी यथासंभव दरियादिली दिखाई जा रही है। कश्मीर में राष्ट्रीय रेल परियोजना में काम कर रहे फिरोजपुर डिवीजन के अधिकारियों को दो साल तक हवाई जहाज से सफर की छूट देना इसका उदाहरण है।

इससे पहले 16 दिसंबर को दिल्ली में ‘संपर्क, समन्वय और संवाद’ कार्यशाला का आयोजन भी किया गया था। इसमें देश भर से आए लगभग ढाई सौ वरिष्ठ अफसरों को रेलवे के ‘कायाकल्प’ के सूत्र बताए गए थे। कार्यशाला में कई त्वरित कदमों के अलावा रेलवे उत्पादन इकाइयों के उत्पादन को 2022 तक तीन गुना करने का रोड मैप तैयार करने की बात भी तय हुई थी।