केंद्र सरकार के अगले बजट में मध्यम वर्ग को बड़ी राहत मिल सकती है। आम बजट में सरकार कर छूट सीमा बढ़ाने के साथ साथ कर स्लैब में भी बदलाव कर सकती है। सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी है।

सूत्रों के अनुसार, वित्त मंत्रालय के समक्ष व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा को मौजूदा ढाई लाख रुपये से बढ़ाकर तीन लाख रुपये करने का प्रस्ताव है। हालांकि, छूट सीमा को पांच लाख रुपये तक बढ़ाने की समय समय पर मांग उठती रही है। वर्ष 2018-19 का आम बजट मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट होगा।  इस बजट में सरकार मध्यम वर्ग को, जिसमें ज्यादातर वेतनभोगी तबका आता है, बड़ी राहत देने पर सक्रियता के साथ विचार कर रही है। सरकार का इरादा है कि इस वर्ग को खुदरा मुद्रास्फीति के प्रभाव से राहत दी मिलनी चाहिए। उद्योग मंडल सीआईआई ने भी कहा है कि मुद्रास्फीति की वजह से जीवनयापन लागत में काफी वृद्धि हुई है।  ऐसे में निम्न आय वर्ग को राहत पहुंचाने के लिये आयकर छूट सीमा बढ़ाने के साथ साथ अन्य स्लैब का फासला भी बढ़ाया जाना चाहिये।







पिछले बजट में आयकर स्लैब नहीं बदला था
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले बजट में आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया लेकिन छोटे करदाताओं को राहत देते हुये सबसे निचले स्लैब में आयकर की दर 10 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दी थी। सबसे निचले स्लैब में ढाई लाख से लेकर पांच लाख रुपये सालाना कमाई करने वाला वर्ग आता है।




मौजूदा कर स्लैब-
2.5-5 लाख : 5 %
5-10 लाख : 20 %
10 लाख से ज्यादा : 30 %

संभावित बदलाव- 
5-10 लाख रुपये : 10 %
10-20 लाख रुपये : 20 %
20 लाख से ज्यादा : 30 %




कंपनी कर 25 प्रतिशत करने की मांग  
उद्योग जगत ने कंपनियों के लिये कंपनी कर की दर को भी 25 प्रतिशत करने की मांग की है। हालांकि सरकार पर राजकोषीय दबाव को देखते हुए उसके लिए इस मांग को पूरा करना मुश्किल लगता है। जीएसटी लागू होने के बाद सरकार की अप्रत्यक्ष कर वसूली पर दबाव बढ़ा है। राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.2 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य रखना है। सरकार ने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने के लिये पिछले दिनों ही बाजार से 50,000 रुपये का अतिरिक्त उधार उठाया है।