एक जनवरी 2005 या इसके बाद शासकीय सेवा में भर्ती हुए कर्मचारी व अधिकारी अब अपनी अंशदायी पेंशन से जरूरत पड़ने पर पैसा एडवांस निकाल सकेंगे। अभी तक राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत यह व्यवस्था नहीं थी। कैबिनेट के इस फैसले के बाद मप्र के करीब डेढ़ लाख से अधिक अधिकारी व कर्मचारियों को लाभ होगा। वे लंबे समय से इसका मांग कर रहे थे।








राज्य शासन के अधीन सिविल सेवा एवं सिविल पदों के तहत नियुक्ति लेने वाले शासकीय सेवकों पर मध्यप्रदेश सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1976 के नियम 44 के प्रावधान लागू हैं। इसके अधीन मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति उपादान (ग्रेच्युटी) भी मंजूर होगा। इसी तरह भारत सरकार पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण की अधिसूचना 11 मई 2015 के प्रावधानों में दी गईं परिस्थितियों, शर्तों और सीमा में संचित पेंशन धन राशि से एडवांस निकालने की सुविधा तथा सेवानिवृत्ति के 3 माह पूर्व अंशदान की कटौती बंद कर दी जाएगी।




कैबिनेट ने एक अन्य फैसले में प्रदेश के 50 से 60 लाख तेंदूपत्ता संग्राहकों को भी राहत दी है। अभी आकस्मिक मौत या दुर्घटना पर उन्हें 26 हजार रुपए मिलते थे, राज्य सरकार ने इसे बढ़ाकर दो लाख रुपए कर दिया गया है। प्रदेश सरकार के प्रवक्ता व जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मीडिया को बताया कि यह दो लाख रुपए अन्य तमाम योजनाओं से मिलने वाली राहत से अलग होंगे। इसके लिए अगले तीन साल तक 12 करोड़ 45 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है।

ईपीएफओ ने नई पेंशन स्कीम का लाभ देना शुरू किया

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने मध्यप्रदेश में भी रिवाइज नई पेंशन स्कीम अर्थात बढ़ी हुई पेंशन का लाभ देना शुरू कर दिया है। हाल ही में क्षेत्रीय कमिश्नर ने दो सदस्यों को नई पेंशन स्कीम की औपचारिकताएं पूरी कर आदेश जारी कर दिए। प्रदेश में इस मुद्दे पर कई महीनों से हजारों पेंशनर्स संघर्ष कर रहे हैं।




कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने पूर्व में स्पष्ट किया था कि 1 सितंबर 2014 के बाद रिटायर होने वालों को इसका लाभ नहीं मिलेगा। प्रदेश में इस श्रेणी के करीब 30 हजार पेंशनर्स हैं। क्षेत्रीय कमिश्नर संजय केसरी ने बताया कि रिवाइज पेंशन स्कीम की औपचारिकताएं पूरी करने वाले दो सदस्यों के आर्डर जारी किए गए हैं। इनके अलावा जिन लोगों ने दस्तावेजी औपचारिकताएं पूरी कर दी हैं उनके मामले प्रक्रिया में हैं।

उधर, भविष्य निधि संगठन के अंशदाता अब ‘एग्जम्पटेड” संवर्ग को बढ़ी हुई पेंशन का लाभ देने के लिए श्रम मंत्रालय पर दबाव बना रहे हैं। इनके लिए पेंशन का मामला अटका हुआ है। इस संवर्ग में भेल, ओएनजीसी जैसे केन्द्र सरकार के उपक्रमों के भी बड़ी संख्या में अंशदाता सरकार की पेंशन स्कीम की सुविधा पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि ईपीएफओ ने नियोक्ताओं को पत्र एवं नोटिस भेजकर श्रेणीवार कर्मचारियों की सूची एवं उनके पीएफ अंशदान की जानकारी फार्म 3(ए) के तहत भी मंगाई थी।