रेल मंत्रलय से एक चिट्ठी चली। इसमें 100 दिन का एक्शन प्लान दिया गया है। इसी प्लान में निजी कंपनियों की कार्यशैली को छह उत्पादन इकाइयों को अपनाने के लिए कहा गया है। खास बात यह है कि इसका प्रयोग रायबरेली स्थित आधुनिक रेल डिब्बा कारखाना (आरेडिका) से ही होना है। सिर्फ चिट्ठी वायरल होने भर से आरेडिका की नींद उड़ी है। अफसर जहां सकते में हैं, वहीं कर्मचारियों में खलबली मची है।








दरअसल, रेल मंत्रलय ने एक 100 दिन का एक्शन प्लान तैयार किया है। इस प्लान में कई ¨बदु हैं। इन्हीं ¨बदुओं में से एक में रेलवे के कारखानों के लिए बात कही गई है। जिन कारखानों को चिह्न्ति किया गया है, उनमें सबसे पहला नाम रायबरेली के लालगंज में स्थित आधुनिक रेल डिब्बा कारखाने का है। यही से इसका ढांचा कॉरपोरेट की तर्ज पर विकसित करने की पहल होनी है। मंत्रलय ने यह प्लान रेलवे बोर्ड को भेजा है। बोर्ड को इकाइयों के लिए व्यापक रिपोर्ट तैयार करने और संगठनों से वार्ता करने के निर्देश दिए गए हैं। इसी साल अगस्त महीने तक हर हाल में इस प्लान पर अमल का आदेश जारी हुआ है। रेल मंत्रलय के इस फरमान से आरेडिका में हड़कंप मचा है। कर्मचारियों में आक्रोश पनपने लगा है। हालांकि इस संबंध में अभी अधिकारिक तौर पर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं, लेकिन कर्मचारी संगठनों ने विरोध की रणनीति बनानी तैयार कर दी है।








इन इकाइयों के लिए बनी है रणनीति

चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्‍स आसनसोल, इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई, डीजल रेल इंजन कारखाना वाराणसी, डीजल मॉर्डनाइजेशन वर्क्‍स पटियाला, व्हील एंड एक्सल प्लांट बेंगलूरु, रेलकोच फैक्ट्री कपूरथला व मॉडर्न कोच फैक्ट्री लालगंज, रायबरेली के नाम एक्शन प्लान में शामिल किए गए हैं।

रेलवे बोर्ड के नाम रेल मंत्रलय की चिट्ठी में निजीकरण जैसी कार्यशैली की बात

अफसरान कुछ बोलने को तैयार नहीं कारखाने के कर्मचारियों में खलबली

निजीकरण को लेकर रेल मंत्रलय का कोई पत्र अभी कारखाना प्रशासन को नहीं मिला है। इस संबंध में कोई जानकारी भी नहीं है।

-आरपी शर्मा, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, आरेडिका