वंदे भारत सीरीज की नई 40 ट्रेनें बनाने के लिए जारी की गई निविदा में आठ कंपनियों ने भागीदारी की थी, इसमें रेलवे ने भारतीय कंपनी मेधा सवरे ड्राइव्स लिमिटेड को दो और स्पेन की एक कंपनी को केवल एक ट्रेन बनाने का ऑफर दिया। यानी रेट मांगे गए 40 ट्रेनों के निर्माण के हिसाब से और फिर उसी रेट पर ऑफर किया गया महज एक और दो के लिए। रेलवे के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए मेधा ने निर्माण से हाथ खींच लिए।








प्रस्तावित ट्रेनेंइंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई में बनाए जानी थीं। मेधा ने चेन्नई के प्रिंसिपल चीफ मटीरियल मैनेजर को दो पेज की चिट्ठी लिख स्थिति स्पष्ट की। हालांकि स्पेन की कंपनी को एक ट्रेन बनाने का टेंडर अलाट कर दिया गया। यह कंपनी पहली बार रेलवे के रैक (ट्रेन) बना रही है, इसलिए रेलवे ने महज एक रैक बनाने का टेंडर अलाट किया, जिसे 18 माह में तैयार करना था। लेकिन, विवाद होता देख रेलवे बोर्ड ने वंदे भारत और रेलवे मेन लाइन इलेक्टिक मल्टीपल यूनिट (मेमू), इलेक्टिकल मल्टीपल यूनिट (ईएमयू) और एयर कंडीशंड ईएमयू के सभी टेंडर रद कर दिए। यह टेंडर करीब 3 हजार करोड़ रुपये के बताए जाते हैं।




निविदा प्रक्रिया पर सवाल खड़े करने वाली मेधा कंपनी के जनरल मैनेजर (मार्केटिंग) आर. विद्याधर ने प्रिंसिपल चीफ मटीरियल मैनेजर इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई को 31 मई 2019 को पत्र लिखकर दो रैक (दो ट्रेनें) बनाने से इन्कार करते हुए लिखा कि उनकी कंपनी ने वंदे भारत सीरीज की शुरुआती दो ट्रेनें तैयार की हैं, जिनमें से एक नई दिल्ली और वाराणसी के बीच दौड़ रही है, जबकि दूसरी शकूरबस्ती शेड में खड़ी है। लिहाजा, अनुभवी निर्माता होने के नाते उन्होंने नई ट्रेनों के लिए निकाले गए टेंडर में 10.17 करोड़ रुपये प्रति बेसिक यूनिट के रेट से निविदा भरी। इसके बाद 24 व 25 अप्रैल 2019 को टेंडर कमेटी के साथ नेगोशिएशन मीटिंग हुई। इसमें अपनी टेंडर की राशि को घटाकर 9.95 करोड़ रुपये कर दिया। बावजूद इसके महज दो रैक बनाने का आर्डर हमें दिया गया। जबकि अनुभवी निर्माता होने के कारण हमें कम से कम 80 फीसद (40 ट्रेनों का) आडर दिया जा सकता था। कंपनी ने कहा कि उन्होंने इसी के चलते रेट कम करने पर हामी भरी थी, लेकिन कम की गई कीमत पर महज दो ट्रेनें बनाना उनके लिए संभव नहीं है। कंपनी ने टेंडर प्रक्रिया से पीछे हटते हुए निविदा के लिए दी गई जमानती राशि (अर्नेस्ट मनी डिपाजिट, ईएमडी) वापस मांग ली।




इस तरह कंपनियों ने की थी भागीदारी: टेंडर लेने के लिए करीब 8 कंपनियों ने भागीदारी की थी। इनमें जिन कंपनियों ने कभी भारत में रेलवे के रैक नहीं बनाए उन्हें दौड़ से बाहर कर दिया गया। भारत हैवी इलेक्टिकल्स लिमिटेड, नई दिल्ली ने भी 11 करोड़ रेट के हिसाब से टेंडर भरा था।

निविदा प्रक्रिया में इस तरह की आपाधापी होने के बाद रेलवे ने पारदर्शिता और बेहतर तकनीक का हवाला देते हुए सभी टेंडर रद कर दिए हैं।

2022 तक 40 ट्रेनें उतारने का था लक्ष्य

सूत्रों की मानें तो रेलवे ने 2019-20 तक वंदे भारत सीरीज की 10 ट्रेन बनाने का लक्ष्य रखा था। 2020-21 में 15 और 2021-22 में भी 15 ट्रेनें बनाने का लक्ष्य रखा गया था। अब नए टेंडर जारी होने तक और प्रक्रिया पूरी होने तक इस लक्ष्य की प्राप्ति के बारे में कुछ कहना मुश्किल होगा।

’>>भारतीय कंपनी ने चिट्ठी लिख जताई आपत्ति, उठाए निविदा प्रक्रिया पर सवाल

’>>सवाल उठे तो रेलवे ने सभी टेंडर कर दिए रद