ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन इंडिया के कर्मचारी जल्द ही रेलवे स्टेशनों पर पार्सल की जिम्मेदारी संभालते नजर आएंगे। रेलवे ने फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर उसे दो राजधानी ट्रेनों में यह जिम्मेदारी सौंपी है। एक माह बाद काम की समीक्षा के बाद इसका दायरा बढ़ाया जा सकता है। प्रयोग सफल रहा तो अन्य ट्रेनों में भी पार्सल का काम बड़ी निजी कंपनियों के हवाले करने की राह खुल जाएगी।








रेलवे बोर्ड ने जारी किया आदेश
मुंबई राजधानी (12952/12951) और सियालदह राजधानी (12314/12313) से इस योजना की शुरुआत हो रही है। इन दोनों ट्रेनों में गार्ड के डिब्बे के साथ लगने वाले एसएलआर (पार्सल वैगन) में ढाई टन पार्सल के परिवहन की अनुमति अमेजन इंडिया को दी गई है। एक एसएलआर की क्षमता चार टन होती है, जो अभी पूरी तरह से रेलवे के पास है। लेकिन, अब इन ट्रेनों में रेलवे मात्र डेढ़ टन सामान ही बुक कर सकेगा। इस संबंध में रेलवे बोर्ड ने उत्तर रेलवे, पूर्व रेलवे और पश्चिम रेलवे को आदेश जारी कर दिया है।




अधिकारियों का कहना है कि एलएचबी कोच वाली ट्रेनों में एसएलआर के दो कोच होते हैं। इसमें आगे वाला कोच ठेकेदार को लीज पर दिया जाता है। एक कोच रेलवे के पास होता है, वह भी अब निजी कंपनी के हवाले किया जा रहा है।

पार्सल कर्मचारी नाराज, 31 को करेंगे हड़ताल
रेलवे स्टेशन पर माल चढ़ाने और उतारने वाले निजी कर्मियों ने फैसले का विरोध शुरू कर दिया है। भारतीय रेलवे लोडिंग अनलोडिंग वर्कर यूनियन के अध्यक्ष राजकुमार इंदौरिया ने कहा कि बिना किसी टेंडर के रेलवे ने यह काम अमेजन को दिया है। यूनियन से चर्चा तक नहीं की गई है। ऐसे में 31 जुलाई व एक अगस्त को हड़ताल करने की घोषणा की गई है।

इस दौरान नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली व हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर किसी भी ट्रेन में न तो पार्सल का माल चढ़ाया जाएगा और न उतारा जाएगा। रेलवे के फार्व¨डग व क्लिय¨रग एजेंटों के संगठन ने भी हड़ताल का समर्थन किया है।




दिल्ली के स्टेशनों से रोजाना भेजे जाते हैं हजारों पैकेट
नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली और हजरत निजामुद्दीन सहित अन्य स्टेशनों पर रोजाना हजारों की संख्या में पार्सल के पैकेट पहुंचते हैं। सिर्फ नई दिल्ली पर करीब दस हजार पैकेट ट्रेन से भेजे जाते हैं।

ज्यादा राजस्व मिलने का दावा
रेल अधिकारियों का कहना है कि टेंडर नहीं होने के बावजूद रेलवे के राजस्व में कोई कमी नहीं आएगी। जिस ट्रेन में अमेजन इंडिया को पार्सल की जिम्मेदारी दी जा रही है, उसमें पहले से लीज पर काम करने वाले ठेकेदार से ज्यादा राशि ली जाएगी। यदि उस ट्रेन में पार्सल लीज पर नहीं होंगे तो उस रूट पर अधिकतम लीज की राशि से ज्यादा पैसा वसूला जाएगा। इसके साथ ही एक माह की राशि का अग्रिम भुगतान करना होगा।