एक तरफ जहां केंद्रीय कर्मचारी दशहरे से पहले मोदी सरकार से महंगाई भत्ते (डीए) में बढ़ोतरी की आस लगाए बैठे हैं तो दूसरी तरफ योगी सरकार ने कई भत्तों को खत्म कर दिया है। यूपी सरकार के फैसले से कर्मचारियों की सैलरी घट जाएगी। सरकार ने कुल 6 भत्तों को बंद कर दिया है। इनमें 43 साल से मिल रहा फैमिली प्लानिंग अलाउंस भी शामिल है।








गुरुवार (22 अगस्त 2019) को वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव मित्तल ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा ‘कर्मचारियों को अब दो भाषाओं या उससे अधिक जानने, कंप्यूटर का संचालन करने, स्नातकोत्तर होने, स्टोर कीपर को नकदी भंडारों और मूल्यवान वस्तुओं की रक्षा के एवज में मिलने वाला कैश हैंडलिंग भत्ता, सीमित परिवार के प्रति जागरूकता बढ़ाने हेतू परिवार कल्याण प्रोत्साहन भत्ता और परियोजना भत्ता नहीं दिया जाएगा। इसके लिए शासनादेश भी जारी किया जा चुका है।’




आदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि राज्य की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने तत्काल प्रभाव से इन छह भत्तों को समाप्त करने के लिए मंजूरी भी दे दी है। राज्य सरकार के सूत्रों ने कहा कि ये भत्ते निरर्थक हो गए थे यही वजह है कि इन्हें खत्म करने का फैसला लिया गया था। मालूम हो कि परिवार नियोजन भत्ता उत्तर प्रदेश में 1976 में शुरू किया गया था। उस दौरान कांग्रेस सत्ता में थी। यह भत्ता उन कर्मचारियों के लिए पेश किया गया था जिनकी उम्र 40 वर्ष और उससे अधिक थी और उनके केवल दो ही बच्चे थे।




मालूम हो कि केंद्रीय कर्मचारी महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी का इंतजार कर रहे हैं। दशहरे और त्योहारी सीजन शुरू होने से पहले कर्मचारियों को सरकार की तरफ से बड़ी सौगात दी जा सकती है। अगर ऐसा होता है तो कर्मचारियों को जुलाई, अगस्त, सितंबर का एरियर भी मिलेगा। बता दें कि हर छह महीने पर सरकार महंगाई भत्ते की समीक्षा करती है। 2016 में जब नए वेतन आयोग की सिफारिशें लागू हुई थीं, उस समय महंगाई भत्‍ता खत्‍म कर दिया गया था पर बाद में कर्मचारियों के भारी विरोध के बाद इसे फिर से लागू कर दिया गया था।